कितनी बार कहा ...
कितनी बार कहा ...
सब्र हर काम में सीखो
फैसले वक्त पर ही सही होते हैं
कितनी बार कहा ...
अपनेआप से लड़ाई कैसी
इश्क खुद ही से शुरू होते हैं
कितनी बार कहा ...
अंधेरों से उलझना कैसा
इनके उस पार उजाले रहते हैं
कितनी बार कहा ...
परों को देखना छोड़ो
ख्वाहिशों से उड़ानें होती हैं
कितनी बार कहा ....
सवालों से मत भागा करो
जिंदगी इनके जवाबों से हसीन होती है
-कुहू
कितनी बार कहा ...
सब्र हर काम में सीखो
फैसले वक्त पर ही सही होते हैं
कितनी बार कहा ...
अपनेआप से लड़ाई कैसी
इश्क खुद ही से शुरू होते हैं
कितनी बार कहा ...
अंधेरों से उलझना कैसा
इनके उस पार उजाले रहते हैं
कितनी बार कहा ...
परों को देखना छोड़ो
ख्वाहिशों से उड़ानें होती हैं
कितनी बार कहा ....
सवालों से मत भागा करो
जिंदगी इनके जवाबों से हसीन होती है
-कुहू
No comments:
Post a Comment