आवाज़ें
आवाज़ें खिलखिलाती हैं होठों पर
जब बच्चे को मिल जाता है नया खिलौना
जब बच्चे को मिल जाता है नया खिलौना
आवाज़ें मुस्कुराती हैं जहन में
जब छू जाती है हवा उसकी खुश्बू वाली
जब छू जाती है हवा उसकी खुश्बू वाली
आवाज़ें ठहर जाती हैं वक्त की तहों में
जब बिछड़ जाता है कोई साथी लंबे सफर का
आवाजें शामिल हो जाती हैं शोर में
जब मेले में कुछ पल को अलग होता है परिवार
जब मेले में कुछ पल को अलग होता है परिवार
आवाज़ें टकराती हैं पहाड़ और चट्टानों से
जब तन्हा महसूस करता है कोई भीड़ में
आवाज़ें रोशनी बन जाती हैं अंधेरे में
जब खामोश हो जाता है कोई डरकर अकेले में
आवाज़ें जिस्म से उतारकर रख दी जाती हैं
जब खत्म हो जाती है किसी रिश्ते की मियाद
आवाज़ें मर जाती हैं बूढ़ी होकर, कांपते हुए
जब तन्हा महसूस करता है कोई भीड़ में
आवाज़ें रोशनी बन जाती हैं अंधेरे में
जब खामोश हो जाता है कोई डरकर अकेले में
आवाज़ें जिस्म से उतारकर रख दी जाती हैं
जब खत्म हो जाती है किसी रिश्ते की मियाद
आवाज़ें मर जाती हैं बूढ़ी होकर, कांपते हुए
जब अनसुनी की जाती हैं लगातार, बार-बार
आवाज़ें फिर जन्मती हैं नन्ही किलकारियों में
तब सुकून देती हैं, बढ़ती हैं, पलती हैं, फैलती हैं
-कुहू
तब सुकून देती हैं, बढ़ती हैं, पलती हैं, फैलती हैं
-कुहू